एस-बैंड मामला, खत्म होगा समझौता

सरकार ने घोषणा की कि उसने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और देवास मल्टी मीडिया प्रा. लिमिटेड के बीच एस-बैंड स्पेक्ट्रम के आवंटन के समझौते को समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

हालाँकि सरकार ने यह भी दोहराया कि इस समझौते से देश को कोई वित्तीय नुकसान नहीं हुआ है। इसरो की वाणिज्यिक इकाई (अंतरिक्ष) और बेंगलूर स्थित देवास मल्टीमीडिया के बीच 28 जनवरी 2005 को हस्ताक्षरित इस समझौते के अंतर्गत कंपनी को 70 मेगाहर्ट्ज के एस-बैंड स्पेक्ट्रम पट्टे पर आवंटित करने की सहमति बनी थी।

इसरो के एक पूर्व अधिकारी की इस कंपनी के साथ इस समझौते के कारण दो लाख करोड़ रुपए के भारी-भरकम सरकारी राजस्व के नुकसान की संभावना व्यक्त की गई है। विपक्ष ने इसे 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले से ज्यादा बड़ा घोटाला करार दिया है।

2जी स्पैक्ट्रम, आदर्श सोसायटी और राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में घोटालों के आरोपों का सामना कर रही संप्रग सरकार के समक्ष शर्मनाक स्थिति पैदा हो गई है। चूँकि अंतरिक्ष विभाग सीधे प्रधानमंत्री के अंतर्गत आता है, इसलिए मामला नाजुक हो गया है।

इसरो के प्रमुख के राधाकृष्णन ने मंगलवार शाम जल्दबाजी में बुलाए गए एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इसरो ने समझौते को समाप्त करने की प्रक्रिया शुर कर दी है। उन्होंने बताया कि इस वक्त समझौता खत्म नहीं हुआ है, लेकिन समझौते को समाप्त करने की प्रक्रिया जारी है। (news)

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